Friday, January 25, 2013

प्रसून जोशी की तीसरी किताब सनशाइन लेन्स

 
आजकल हमारे समाज में इस बात की बहस चल रही है कि गीतों को प्रसिद्द होने के लिए उनके बोल असभ्य होने चाहिए या सभ्य। प्रसून जोशी ने हर बार अपने गीतों से इस बात का एहसास दिलाया है कि किसी भी गाने को प्रसिद्द बनाने के लिए उनका असभ्य होना ज़रूरी नहीं होता है।
अपने उन्हीं गीतों का संकलन एक पुस्तक के रूप में जल्द ही प्रकाशित करने वाले हैं। प्रसून की किताब सनशाइन लेन्स जयपुर के लिटररी फेस्टिवल में लॉन्च होने वाली है।
प्रसून जोशी उन लेखकों में से हैं जो कि हिंदी भाषा को सामयिक विचारों के साथ जोड़ कर गीत बनाते हैं। ज़्यादातर लेखक उर्दू भाषा का इस्तेमाल करते हैं।
प्रसून जोशी एक गीतकार हैं, स्क्रीनप्ले लेखक हैं और विज्ञापन जगत के कॉपीराइटर भी हैं। ये इनकी तीसरी किताब है। इन्होंने अपनी पहली किताब 17 साल की उम्र में प्रकाशित करवाई थी। ये McCann World-group India के अध्यक्ष भी हैं।
जहाँ हम गानों के बोल के असभ्य होने के बारे में सुन रहे हैं, उन्हीं के बीच एक नाम है जो इस ट्रेंड को खारिज करते हुए एक अलग सोच के साथ भीड़ में खड़े होने की हिम्मत रखते हैं। प्रसून जोशी आज के ज़माने के उन गीतकारों में से हैं जिन्होंने कविताओं की परंपरा को अभी तक बरकरार रखा है फ़िल्मी गानों के ज़रिये। इन्होंने नए विचारों और असाधारण शिल्प के साथ गीत लिखे हैं। इनकी कवितायें और गीत लोगों के बीच काफी लोकप्रिय होते हैं और विशेषज्ञों द्वारा सराहे भी जाते हैं। 
प्रसून की किताब में 60 अलग अलग फिल्मों और एल्बम के गानों के बोल पढ़ने मिलेंगे जिन्हें खुद प्रसून ने पिछले 10 सालों में लिखे हैं। हर गीत के साथ एक पेज का नोट होगा जिसमें गीतकार के अनुभव के बारे में लिखा होगा कि उस गीत को लिखने के लिए उनको किस चीज़ या विचार ने प्रेरित किया और किस प्रकार उन्होंने उस गीत को पूरा किया।
प्रसून जोशी ने हम तुम, रंग दे बसंती, फना, तारे ज़मीन पर, डेल्ही 6, फिर मिलेंगे, ब्लैक, लंडन ड्रीम्स, चित्तागोंग आदि फिल्मों के लिए गीत लिखे हैं। इन्होंने सिल्क रूट, अब के सावन आदि म्यूजिक एल्बम के भी गीत लिखे हैं।

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