Tuesday, December 25, 2012

खलनायक नही नायक हूँ मैं -सुमीत शर्मा


छोटे परदे पर अनेकों बार खलनायक की भूमिका अभिनीत कर चुके मथुरा के रहने वाले सुमीत शर्मा की पहली हिंदी फीचर फिल्म '2 नाइट्स इन सोल वैली 28 दिसम्बर को रिलीज़ हो रही है. पिंटा एंड दहल प्रोडक्शन के बैनर में बनी इस फिल्म को निर्देशित किया है हरीश शर्मा ने.पिछले दिनों सुमीत की इसी फिल्म का संगीत रिलीज़ हुआ तभी उनसे मिलने का मौका मिला, पेश हैं बातचीत के मुख्य अंश -----
इस फिल्म की कहानी क्या है? कुछ अनुभव भी बताये शूटिंग के समय ?                                                                                                                          
कहानी है 5 दोस्तों की, जो की अपनी छुट्टियाँ मनाने जाते हैं पिथोरागढ़, इसी सफर में उनके साथ कुछ अजीबो - गरीब घटनाएँ घटती हैं समझ नही आता कि क्या हो रहा है ? इसी दौरान एक दोस्त भी हमसे जुदा हो जाता है जैसे- तैसे हम सब अपनी जान बचा कर वहां से भागते हैं. यह एक सुपर नैचुरल फिल्म है जिसे निर्देशित किया है हरीश शर्मा ने, जिन्होने पी आर की दुनिया में अपना मुकाम बनाया है यह उनकी पहली फिल्म है. मज़ा आया सभी के साथ काम करने में, एक अलग ही तरह का अनुभव हुआ काम करने में, सभी कलाकार पहली ही बार मिले थे लेकिन सब दोस्त बन गए आज भी हम सब आपस में मिलते हैं. चंडीगढ़ के पास मोरनी हिल्स में फिल्म की शूटिंग हुई है तो दर्शकों को हम डरायेगें भी लेकिन साथ में उन्हें खूबसूरत वादियाँ भी दिखायेगें.
पहली फिल्म है और वो भी हॉरर तो क्या कोई खास वजह रही इसकी? वजह यही है कि बहुत ही अच्छी कहानी है फिल्म की , जब आप देखेगे तो आप मेरी बात पर यकीन करेगें फिल्माया भी बहुत ही अच्छे से है, कोई भी फूहड़ सीन नही है न ही कुछ ऐसा है जिसे देख कर दर्शकों को बोरियत हो.
आपकी क्या भूमिका है ? मैंने हैरी की भूमिका की है मेरे इर्द गिर्द ही फिल्म की कहानी घूमती है.
इस तरह की फिल्मों में संगीत की एक अहम भूमिका होती है संगीत के बारे में बताइए? संगीत भी फिल्म की कहानी की मांग के मुताबिक है वर्षा नारायण ने संगीत दिया है व गीतों को भी उन्होंने ही गाया है इसके अलावा ब्रिटेन की रहने वाली मिली मूनस्टोन ने भी एक गाना गाया है इसके साथ ही मिली ने भी फिल्म में अहम भूमिका अभिनीत की है.
आपने छोटे परदे पर विलेन की भूमिका अभिनीत की जबकि इस फिल्म में आप हीरो बने हैं तो क्या फर्क लगा आपको ?
एक अभिनेता की नज़र से देखूं तो कुछ भी फर्क नही अभिनय तो दोनों ही जगह किया मैंने नायक बना या खलनायक लेकिन दर्शकों की नज़र से देखें तो बहुत फर्क है नायक बन कर उनका प्यार मिलेगा जबकि खलनायक तो गाली ही खाता है हमेशा. मैंने हेलो डॉली, सरकार, साथ फेरे, भाभी आदि धारावाहिकों में खलनायक बन कर दर्शकों का मनोरंजन किया और अब अपनी फिल्म "2 नाइट्स इन सोल वैली" से उनका मनोरंजन करूंगा.

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