सुनने में आया है कि जहां माही अपने हुस्न अदाओं के घायल दीवानों की बातें करती थी वहीं सोहा अपने शाही रहन सहन का रौब माही को जताती थी. और माही को ना चाहते हुए भी यह सब सुनना पडता था क्योंकि फिल्म का बैकग्राउंड पूरी तरह से शाही था.
वैसे माही सोहा की बातों को कितनी दिलचस्पी से सुनती थी यह तो वही जानें लेकिन हां सोहा की बातों से इस बात का अन्दाज़ा आसानी से लगाया जा सकता है कि सोहा के पास, माही की तुलना में कहने के लिए कुछ खास था नहीं. वैसे सोहा यह हम नहीं कह रहे बल्कि ऐसा लोग समझ रहे हैं.
वैसे माही सोहा की बातों को कितनी दिलचस्पी से सुनती थी यह तो वही जानें लेकिन हां सोहा की बातों से इस बात का अन्दाज़ा आसानी से लगाया जा सकता है कि सोहा के पास, माही की तुलना में कहने के लिए कुछ खास था नहीं. वैसे सोहा यह हम नहीं कह रहे बल्कि ऐसा लोग समझ रहे हैं.
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