Shiv Sena’s new chief Uddhav Thackeray and his son, Yuva Sena’s President, Aaditya Thackeray will be unveiling the May issue of Society Magazine at the Magna House on 30 th April 2013.
Tuesday, April 30, 2013
Society Magazine Cover Launch
Shiv Sena’s new chief Uddhav Thackeray and his son, Yuva Sena’s President, Aaditya Thackeray will be unveiling the May issue of Society Magazine at the Magna House on 30 th April 2013.
Monday, April 29, 2013
Sushant Singh Rajput,Kabir Khan & NoyonikaChatterjee Attended Femina Style Diva Grand Finale in Gurgaon
Femina Magazine organized the Grand Finale of Femina Style Diva at Westin Hotel, Gurgaon. Judged by renowned personalities from Bollywood and Fashion, The three Winners of the contest were Manveen Singh,1st Runner up- Aditi Bhalotra ,2nd runner up- Amarjyot Kaur
Hosted by Shibhani Dandekar, the event saw a soulful performance by musician Rabbi Shergill which was quickly followed by Hard Kaur’s gregarious performance. Delhi-based dancer Ria and her troupe managed to keep on their toes with their energetic choreography.
Adding sparkle to the evening was the jury panel comprising of some of the eminent and celebrated names from the fashion and entertainment industry. These include Director Kabir Khan, actor Sushant Singh Rajput model NoyonikaChatterje e, Tanya Chaitanniya Editor Femina and Jitesh Pillaai from Filmfare WWM, among others.
Chosen from over a hundred girls, FSD was a one of a kind challenge that was designed to reach out to girls across cities, thereby giving them a chance to realize their style ambitions.
This year’s FSD North saw girls from cities such as Chandigarh, Ludhiana and across Delhi NCR showcase their unique style at the grande finale at The Westin, Gurgaon, New Delhi where the girls walked the ramp in elegant saris by Chhabra 555 and jewellery by PC Jewellers. While the second round comprised the girl’s own personal style and the third in funky clothes by Monte Carlo and Vogue Eyewear, the crowd broke into cheers when the gowns by rising star NikhitaTandon were showcased.
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Saturday, April 27, 2013
32nd year of "Chrysalis fashion show "witnessed innovative choreography and designs,collection of the year,2013
Achala sachdev choreographed the annual fashion show of CHRYSALIS ,with innovative and mesmerizing choreography which was as unique as it could get ,models were excited for the show along with the students ,the designs were amazing and ultra chic and stylish,the innovative spirit seemed to be all around, Yukta mookhey,Amy Billimoria, Navraaj Hans, Arzan khambhata, Achala sachdev, all bonded post the show ,Achala was inundated with the compliments
Yuva mookhey loved Amy billimorias jump suit, Achala sachdev looked gorgeous in black and red combination
The students had put up a great show with lot of enthusiasm,hardwork and passion,the new styles and creation was apparent in the styles and cuts of the outfits.
Collects showcases by students were royal flus,the mesmerizing coral,the kiss of the orient,sugandh, rich ..in absentia!,trace the race,the aboriginals,the Olympian odyssey,the marvelous marine, femininity reloaded, thinking' s,get high! Gothic mystique etc
Student achiever award was given to Payal Khandwala deals presented by Amy Billimoria,
Jury comprises of Cagayan Montoya, kushal parmanand, madhulika domain,mannish mandhana,meher castelino,Neha hiring and vipul Bharat
Friday, April 26, 2013
शराब में डूबे युवा की मौत कहानी आशिक़ी 2
आज आशिकी 2 देखी। कैसी लगी नहीं बताऊँगा। युवाओं की फिल्म है। मैं युवा नहीं। आशिकी 2 से जुड़े तमाम लोग युवा है। निर्देशक मोहित सूरी 32 साल के हैं। हीरो आदित्य रॉय कपूर 27 साल के हैं। हीरोइन श्रद्धा कपूर भी उनकी हम उम्र हैं। सबसे उम्र दराज़ लेखिका शगुफ्ता रफीक थीं। सिनेमा हाल में बैठे तमाम लाँड़े लौंडियाँ युवा थी। यह युवा इस लिहाज से थे कि फिल्म शुरू होते ही अर्थात सिनेमाहाल में अंधेरा छाते ही, यह उन्मुक्त जोड़े फिल्म देखने के बजाय अपने प्रेम इज़हार में मशगूल हो जाते। फिल्म एक गायक आरजे की है, जिसके सर पर सफलता चढ़ गयी है। वह शराब पीने लगता है, झगड़ा मारपीट जिसका शगल है। वह शो बीच में छोड़ सकता है। एक बार में गाते हुए उसे एक लड़की मिलती है। जो उसी के गीत को उससे अच्छा गा रही है। वह लड़की आवाज़ से प्रभावित होता है और उसे गायिका के रूप में स्थापित करने का बीड़ा उठता है और बना भी देता है। दोनों एक दूसरे को प्यार करने लगते है। वह शादी करना चाहते हैं। पर एक आदमी की बात सुन कर कि वह उस लड़की का खाएगा, उसे शराब पीकर मारेगा, लड़की उसकी उल्टियाँ साफ करेगी, लड़का लड़की की ज़िंदगी से निकाल जाना चाहता है। लड़की लाख चाहती है कि वह पीना छोड़ दे और गाना फिर शुरू कर दे। लेकिन पता नहीं क्यों वह भकुवा लौंडा किस गम में डूबा है कि शराब पीना नहीं छोड़ता। ऐसे में, जब लड़की उसको नहीं छोड़ती तो लौंडा आत्महत्या कर लेता है।
पूरी फिल्म में हाल में बैठे लड़के लड़कियां एसी का मज़ा लेते हुए एक दूसरे में जूझे हुए थे, मैं सोच रहा था कि यह हमारे देश के युवा की कहानी है! यानि अगर वह सफल होगा तो शराब पीने लगेगा, अपने काम में कोताही बरतेगा। कोई प्यार और सहारा मांगे तो देगा नहीं आत्महत्या कर लेगा। अबे साले हिंदुस्तान के युवा! तू बलात्कार करने में तेज़ है, क्योंकि तुझे महेश भट्ट और मुकेश भट्ट जैसे निर्माता मिले हैं और मोहित सूरी जैसे भटके निर्देशक। शगुफ्ता रफीक से ही ऐसी कहानी की उम्मीद की जा सकती है, जो पूर्व बार डांसर थीं। उनकी सोच कुछ दूसरी नहीं हो सकती। उनके संसार के युवा ऐसे ही पलायनवादी होते होंगे।
इसलिए, कोई शक नहीं अगर हमारे देश के युवाओं को फिल्म पसंद आ जाए। कम से कम सिनेमहल में बैठ कर मेहबूबा के साथ इत्मीनान से रोमैन्स तो किया जा सकता है। क्यों कि सिनेमाघर के अंधेरे हम्माम में सभी नंगे ही तो बैठे होते हैं।
फिल्म में उभर कर आई है पुराने जमाने के विलेन शक्ति कपूर की बेटी श्रद्धा कपूर। वह खूबसूरत भी है और टेलेंटेड भी।
पूरी फिल्म में हाल में बैठे लड़के लड़कियां एसी का मज़ा लेते हुए एक दूसरे में जूझे हुए थे, मैं सोच रहा था कि यह हमारे देश के युवा की कहानी है! यानि अगर वह सफल होगा तो शराब पीने लगेगा, अपने काम में कोताही बरतेगा। कोई प्यार और सहारा मांगे तो देगा नहीं आत्महत्या कर लेगा। अबे साले हिंदुस्तान के युवा! तू बलात्कार करने में तेज़ है, क्योंकि तुझे महेश भट्ट और मुकेश भट्ट जैसे निर्माता मिले हैं और मोहित सूरी जैसे भटके निर्देशक। शगुफ्ता रफीक से ही ऐसी कहानी की उम्मीद की जा सकती है, जो पूर्व बार डांसर थीं। उनकी सोच कुछ दूसरी नहीं हो सकती। उनके संसार के युवा ऐसे ही पलायनवादी होते होंगे।
इसलिए, कोई शक नहीं अगर हमारे देश के युवाओं को फिल्म पसंद आ जाए। कम से कम सिनेमहल में बैठ कर मेहबूबा के साथ इत्मीनान से रोमैन्स तो किया जा सकता है। क्यों कि सिनेमाघर के अंधेरे हम्माम में सभी नंगे ही तो बैठे होते हैं।
फिल्म में उभर कर आई है पुराने जमाने के विलेन शक्ति कपूर की बेटी श्रद्धा कपूर। वह खूबसूरत भी है और टेलेंटेड भी।
Friday, April 12, 2013
न कोई नौटंकी न कोई साला !
नौटंकी साला देखने के बाद यह सोचने को मजबूर होना पड़ता है कि क्या निर्देशक रोहण सिप्पी नौटंकी और थिएटर का फर्क समझते हैं या नहीं। उनके तमाम चरित्र स्टेज एक्टर हैं, पर वह नौटंकी करते नज़र आते हैं। रोहन सिप्पी की यह कॉमेडी फिल्म है, लेकिन रोहन के फिल्म के पत्रों के संवादों के साथ बैक्ग्राउण्ड में हंसी के स्वर भर देने चाहिए, ताकि दर्शकों को मालूम हो जाता कि संवाद हंसने वाले हैं और वह हँसना शुरू कर देता। जहां तक अभिनय का सवाल करने, जब कलाकारों के लिए कुछ अच्छा लिखा ही नहीं गया था तो वह अच्छा करते भी कैसे। वैसे पूजा सलवी, इवेलिन शर्मा को ठीक ठाक हिन्दी सीखने और अभिनय करने के लिए बरसों लग जाएंगे और तब तक यह दोनों हीरो की अम्मा बनने की उम्र की तब जाएंगी । कौन कमबख्त कहता है कि आयुष्मान खुराना को एक्टिंग आती है। वह तो मुंह को कई कोण में चलाने फिरने को ही एक्टिंग समझता है। अगर वह विकी दोनोर का स्पर्म डोनेट करने वाला विकी नहीं होता तो इतना माशूर भी नहीं होता। कुणाल रॉय कपूर को सलाह है कि वह मुंबई में हलवाई की दुकान खोल ले। लखनऊ के ज्यादातर हलवाई उनही की कद काठी वाले पाये जाते हैं। वैसे अगर आप अनिद्रा के शिकार हैं तो रात में इस फिल्म की डीवीडी लाकर देखें, शर्तिया नींद साली आएगी। नौटंकी स्साला!!!
बॉलीवुड के कमांडो विद्युत जमवाल
2011 की फोर्स के खलनायक विद्युत जमवाल को अपनी मसल्स और मार्शल आर्ट्स के कारण बहुत शोहरत मिली थी। वह मार्शल आर्ट्स के माहिर है। उन्होने दिलीप घोष की आज रीलीज़ फिल्म कमांडो के तमाम एक्शन (ऊंचाई से दरिया में कूदने का दृश्य छोड़ कर) खुद किए हैं। कमांडो के प्रोमोस में विद्युत जमवाल की मार्शल आर्ट्स स्किल देख कर ही दर्शक कमांडो देखने आते हैं। इसमे कोई शक नहीं कि विद्युत जमवाल निराश नहीं करते । उनके एक्शन दर्शकों को तालियाँ बजाने को मजबूर कर देते हैं। लेकिन फिल्म मात खाती है कहानी और स्क्रिप्ट की कमजोरी के कारण। सच कहा जाये तो फिल्म में कहानी नदारद है। स्क्रिप्ट में कसाव और नयापन नहीं हैं। फिल्म एक एक्शन थ्रिलर है, लेकिन दर्शकों के सीटों की एड्ज पर रखने वाला थ्रिल नहीं हैं। पूरी फिल्म हीरो और हीरोइन की पीछे भागते खलनायक और उसके साथियों पर टिकी रहती है। यह रोमांचित नहीं करता तो ऊबाऊ भी नहीं है। दिलीप घोष ने अपनी निर्देशकीय कल्पनाशीलता का कोई परिचय नहीं दिया। अगर विद्युत मार्शल आर्ट्स के उस्ताद न होते तो दर्शकों को सिनेमाघर छोड़ना पड़ता। ऐसी फिल्मों मे धारदार और जोरदार संवादों का महत्व होता है। लेकिन कमांडो के संवाद फिल्म को कोई सपोर्ट नहीं देते। विद्युत जमवाल अपने एक्शन से प्रभावी करते हैं, अभिनय से नहीं। पूजा गुप्ता को अभिनय तो नहीं आता, वह खूबसूरत भी नहीं हैं। खलनायक के रोल में जयदीप अहलावत ए के 47 की तरह खतरनाक नहीं, पुरानी हिम्मतवाला के अमजद खान जैसे लगते हैं। उनके चुट्कुले हँसाते कम, कोफ्त ज़्यादा पैदा करते हैं। इस एक्शन थ्रिलर फिल्म के बहाव में अनावश्यक गीत बाधा पैदा करते हैं। इस फिल्म को विद्युत जमवाल के एक्शन सींस के कारण देखा जा सकता है और लोग देख भी रहे हैं।
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